Chaitra Navratri 2023 नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है

Last Updated on July 18, 2023 by Manu Bhai

Chaitra Navratri 2023: संतान और मोक्ष की प्राप्ति के लिए की जाती है स्कंदमाता की पूजा

Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि से हिन्दु नववर्ष के पंचांग की गणना शुरू होती है. इस बार की Chaitra Navratri 2023, 22 मार्च 2023 से शुरू होकर 30 मार्च 2023 तक चलेगी। चैत्र नवरात्रि में पांचवे दिन का महत्व भी अन्य दिनों से कम नहीं है। नवरात्री के पांचवे दिन को भक्तजन स्‍कंदमाता की पूजा बड़े धूमधाम से करते हैं। शास्त्रों में स्कंदमाता को कुमार कार्तिके की माता के रूप में मान्यता दी गयी हैं।

भारत में ही नहीं पुरे विश्व में चैत्र नवरात्रि नौ दिवसीय हिंदू त्योहार है। यह हिंदू चंद्र कैलेंडर के पहले दिन से शुरू होता है। चैत्र नवरात्र के पर्व में देवी शक्ति या देवी दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा का की जाती है। हर साल, यह शुभ हिंदू त्योहार अप्रैल और मार्च के महीने में मनाया जाता है। यह चैत्र के हिंदू महीने में मनाया जाता है और यह त्यौहार देवी दुर्गा के नौ अवतारों को समर्पित है।

उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में चैत्र नवरात्रि का उल्लेख राम नवरात्रि के रूप में भी किया जाता है। भगवान राम का जन्मदिन, राम नवमी, नवरात्रि उत्सव के दौरान नौवें दिन होता है। हिंदू चंद्र कैलेंडर चैत्र के महीने में मनाए जाने वाले उत्सवों का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे नए साल के रूप में भी परिभाषित किया जाता है। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा से होती है, और त्योहार की शुरुआत आंध्र प्रदेश में उगादी से होती है।

Chaitra Navaratri 2019
श्री स्कंदमाता

संतान और मोक्ष की प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की आराधना एवं पूजा करनी चाहिए ऐसा हमारे शास्त्रों में बताया गया है .

Chaitra Navratri 2023: जैसा की आपको पता है हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में चार नवरात्रि मनाई जाती हैं. शक्ति की पूजा का महापर्व नवरात्रि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हो शुरू हो रहा है और इसी दिन से नव संवत्सर की भी शुरुआत हो जाती है. अतः इस बार नवरात्र में चार योग का विशेष संयोग बन रहा है। पूरे 9 दिनों के नवरात्र के साथ माता का आगमन नौका और प्रस्थान डोली पर होगा जो बहुत शुभकारी बताया जा रहा है।

इस चैत्र नवरात्री स्कंदमाता की पूजा करने से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले लोगों को मां स्कंदमाता की सच्चे मन से आराधना करनी चाहिए। ताकि संतान प्राप्ति में आ रही हर बाधा को माता रानी दूर कर दें। नवरात्र के पांचवे दिन ललिता पंचमी व्रत भी रखा जाता है।
 

तभी बहुत से सनातनी शास्त्रों में कहा गया  इस बात को मानते हैं कि संतान की प्राप्ति और मोक्ष के लिए स्कंदमाता की आराधना करनी चाहिए. क्योंकि स्कंदमाता कार्तिकेय की माता हैं और जो इनकी आराधना करेगा उसे कार्तिकेय जैसे हीं पुत्र की प्राप्ति होती है। 

कौन हैं स्कन्द माता

माँ स्कंदमाता की चार सुन्दर भुजाएँ हैं और वह माता एक शेर पर सवार हैं। उसकी 2 भुजाएँ कमल, 1 भुजा शिशु कार्तिकेय को उठाये हुए हैं, और एक अन्य भुजा अभय मुद्रा में रहता है। जैसा कि वह देवी माँ कमल पर बैठती है, देवी पद्मासना उनका दूसरा नाम है। स्कन्दमाता वह देवी हैं जो अपने भक्तों को शक्ति और समृद्धि के साथ आशीर्वाद देतीं हैं। साथ ही, वह अपने उपासक एवं भक्तजनो को अपार बुद्धि के साथ-साथ मोक्ष का आशीर्वाद भी देती हैं। स्कंदमाता को अग्नि की देवी भी माना जाता है। चूँकि वह इस रूप में मातृ प्रेम की प्रतीक हैं, भक्तों को उनके असीम प्रेम का आशीर्वाद मिलता है।

 

Chaitra Navratri 2023 स्कंदमाता कार्तिकेय की माता हैं

पुराण में उल्लेख किया गया है कि स्कंद का अर्थ है कुमार कार्तिकेय होता है अर्थात भगवान् कुमार कार्तिकेय को स्कन्द भी कहा जाता है। अर्थात, देवी पार्वती और भगवान शंकर के बड़े पुत्र कार्तिकेय जो भगवान स्कंद कुमार की माता हैं. अर्थात जो भगवन स्कन्द की माता हैं वही देवीमाँ स्कंदमाता हुई. कई हिन्दू शास्त्रों और पुराणों में वर्णन भगवान स्कंद के बाल स्वरूप को स्कन्दमाता अपनी दाई ओर ऊपर वाली भुजा से गोद में ली हुई हैं। कई जगह चित्रों में ऐसा भी दिखया गया है।

स्कंदमाता इच्‍छा की करती हैं पूर्ति

Chaitra Navratri 2023

विद्वानों, पंडितों और ब्राम्हणो की माने तो नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा उपासना करने से व्यक्ति के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाता है. स्कंदमाता को इक्छापूर्णी माता भी कहा जाता है। कहते हैं कि भक्त यदि सच्चे मन से माँ कि आराधना करें तो स्कंदमाता अपने भक्तों की सभी इच्छाओं और मनोकामना की पूर्ति करती हैं।

Chaitra Navratri 2023: जानिए कैसे हुआ है सप्तशती के मंत्रों में देवी के स्वरूप का वर्णन

देवासुर संग्राम में स्कंदमाता के पुत्र भगवन कार्तिकेय को देवताओं के सेनापति थे . शास्त्रों और पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है. इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है. इनकी माता की पूजा में निम्‍न श्‍लोक का जाप आवश्यक रूप से करना चाहिए. बाकी सभी पूजा विधियों का सामान्‍य रूप से पालन करें

 

Chaitra Navratri 2023

किस प्रकार करें स्कंदमाता की पूजा

भगवन कार्तिकेय की माता देवी स्कंदमाता को गुड़हल का पुष्प अति प्रिय है, इसलिए माता की पूजा में इसे अवश्य अर्पित करना चाहिए , साथ हीं फल एवं मिष्ठान का भोग लगाएं. स्कंदमाता की आरती कपूर से करें और इस मंत्र का जाप करें….

सिंहसनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥’

साथ ही एक और श्लोक का भी पाठ करें,

देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ll

इसका यह अर्थ है कि, हे मां आप सर्वत्र विराजमान और स्कंदमाता के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बारम्बार प्रणाम है. हे माता मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।

इस दिन साधक का मन ‘विशुद्ध’ चक्र में अवस्थित होता है. शास्त्रों के अनुसार स्कंदमाता की मूर्ति भगवान स्कंद भगवान अर्थात, कार्तिकेय के बालरूप को गोद में बिठा कर बनाई जाती है।

जानिये Chaitra Navratri 2023 में कैसा है स्कंदमाता का स्वरूप

चार भुजाओं वाली देवी हैं स्कंदमाता. उन देवी ने अपनी दायीं तरफ की एक भुजा से स्कंदजी को गोद में पकड़े हुए हैं, और दूसरी भुजा में कमल का पुष्प है. जबकि बायीं तरफ ऊपर वाली एक भुजा वरदमुद्रा में हैं और दूसरी भुजा में यहां भी कमल पुष्प है। श्री मां स्कंदमाता पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं मानी जाती हैं. ये मान्यता है कि इनकी कृपा से मूर्ख भी ज्ञानी हो जाता है। इनका वर्ण शुभ्र है। यह कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है। ऐसा भी कहा जाता है कि इन्हीं की प्रेणना से कालिदास रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएं संभव हुईं।

देवी मंत्र 

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

श्री मां स्कंदमाता की पूजा के बाद भगवान शिव शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा करनी चाहिए. ऐसा शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति देवी स्कन्दमाता की भक्ति-भाव से पूजन करते हैं उसे देवी की कृपा प्राप्त होती है. देवी की कृपा से भक्तों की सारी मुरादें पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि बनी रहती है. वात, पित्त, कफ जैसी बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए.

 

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आशा करता हुँ  इस पोस्ट में माँ देवी स्कंदमाता के स्वरुप का वर्णन आपको अच्छा लगा होगा.

धन्यवाद

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