प्रेरणादायक कहानी गुलामी की मानसिकता | ” रस्सी में हाथी ” |Hindi Kahani Rassi me Haathi

Last Updated on August 8, 2023 by Manu Bhai

प्रेरणादायक कहानी गुलामी की मानसिकता: दोस्तों आज की हमारी कहानी है गुलामी की मानसिकता , तो चलिए दोस्तों कहानी शुरू करते हैं। एक समय की बात है, एक नौजवान कहीं रास्ते से गुजर रहा था तो उसने एक ऐसी चीज देखी जिससे उसे अपने आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था, उसने वहीं पास में एक विशालकाय हाथी को देखा जो की एक मामूली सी रस्सी से बंधा चुप चाप खड़ा था. यह सोच कर वह नौजवान बड़ा आश्चर्य में पड़ गया कि आखिर इतने हट्टे कट्टे और विशालकाय हाथी जो बड़े-बड़े दरख्तों, पेड़ो को एक झटके में उखाड़ फेक सकता है वो भला इस पतली सी मामूली रस्से में कैसे बंधा रहा सकता है.

लेकिन उस रोज वो नौजवान थोड़ी जल्दी में था सो वह यह सब देखते हुए वहाँ से निकल गया .
परन्तु संयोग से एक दिन उसे उसी रास्ते से जाना पड़ गया और उसने फिर से वही सब देखा कि वो हाथी अभी भी उसी मामूली सी रस्सी में बंधा है, आश्चर्य कि सीमा तो तब हो गई जब उसने देखा कि हाथी उस रस्सी से छूटने का प्रयास तो दूर वो अपनी जगह से हिल डोल भी नहीं रहा है.

इस बार उस नौजवान से रहा नही गया और उसने यह रहस्य के बारे में जानने की ठान ली l और वहीं पास में ही उसने देखा की एक आदमी ढेर सारा पेड़ पौधों की पत्तियाँ और डालियों को इकठ्ठा कर रहा था, उसे समझते देर नहीं लगा की यही व्यक्ति है जो इस हाथी की देख भाल करता है l औपचारिकता बस नौजवान आगे बढ़कर उस व्यक्ति से उसका परिचय पूछा और फिर उसने उस महावत से पूछ ही लिया की भैया ये बताओ, “आखिर ये हाथी क्यों इस पतली और मामूली सी रस्सी में चुप- चाप बंधा खड़ा है एवं इससे छूटने का, और इस रस्सी को तोड़ने का प्रयास क्यों नहीं करता है, जबकि ये जब चाहे इसे एक झटके में तोड़ सकता है .

पढ़िए आगे क्या होता है प्रेरणादायक कहानी गुलामी की मानसिकता ” रस्सी में हाथी ” में 

प्रेरणादायक कहानी गुलामी की मानसिकता

महावत ने उस युवक को जो वज़ह बताई वो बेहद ही चौकानेवाला था जो किसी को भी आश्चर्यचकित करने वाली थी. हाथी की देखभाल करने वाले उस महावत ने बताया कि जब ये हाथी एक छोटा सा बच्चा था तो उसे इसी तरह कि रस्सी से बांधते थे, और उस समय वह छोटा सा बच्चा हाथी उसे तोड़ने का असफल प्रयास भी करता था परन्तु वह उस रस्सी को तोड़ नहीं पाता था,  चुकी उस समय उस हाथी में इतना बल एवं शक्ति नहीं था कि वो उस पतले रस्सी को भी तोड़ पाय l

फिर बहुत सारे प्रयासों के बाद भी जब वह उस रस्सी को तोड़ने में सफल नहीं हो पाया तो उसे धीरे धीरे ये विश्वास हो गया कि वह इस रस्सी को कभी भी नहीं तोड़ पायेगा l और फिर बड़े हो कर शारीरिक रूप से बलिष्ठ होने के बाद भी वो उस रस्सी को तोड़ने का प्रयास नहीं करता है l उसका एक मात्र कारण है कि उसे ये यकीन हो चूका था कि वो इस रस्सी को कभी नहीं तोड़ सकता, क्योंकि बचपन में उसे कई प्रयास के बाद भी असफलता हीं हाथ लगी थी l

दोस्तों, friends हमें इस लघु कथा से यह सिख मिलती है कि ये जरुरी नहीं है कि यदि हम किसी काम में पहले असफल हो गए तो आज भी सफल नहीं हो सकते हैं l

दोस्तों हममें से अधिकतर लोग किसी काम में एक या दो बार असफल हो जाने के बाद ये विश्वास कर लेते हैं कि वे इस काम को नहीं कर सकते हैं एवं उसी विश्वास के कारण फिर से प्रयास करना छोड़ देते हैं फिर चाहे हालात कितने भी क्यों ना बदल जाय। दोस्तों असफलता में हमें घबराना नहीं चाहिए बल्कि सफल होने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए l असफलता से भी हमें सिख लेनी चाहिए l

असफलता हमें यह सिखाती हैं कि हमारे प्रयास में कहीं न कहीं कोई कमी जरूर रही होगी, और यदि आप उन कमियों को सुधार ले एवं अपने ऊपर विश्वास करें तो सफलता अवश्य मिलती हैं l
दोस्तों एक बात याद रखिये कि हम इंसान हैं जानवर नहीं जो गुलामी कि रस्सी में एक बार बंध जाएं तो फिर वो रस्सी कभी टूट नहीं सकती और ये यकीन कर बैठ जाएं कि अब ये काम हमसे ना होगा l सफलता का एक ही मंत्र…… प्रयास प्रयास और प्रयास.

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