महादेवी वर्मा का जीवन परिचय, रचनाएं, पुरस्कार, एवं रोचक तथ्य | Mahadevi Verma Biography in Hindi

Last Updated on September 6, 2023 by Manu Bhai

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय : महादेवी वर्मा न केवल एक मशहूर कवि और लेखक थीं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं, जो महिला अधिकारों और शिक्षा के बहुत बड़ी पक्षधर थीं। उनकी रचनाएं उनके विचारों और भारतीय समाज की गहरी समझ का प्रतिबिंब होती थीं। वह हिंदी साहित्य में छायावाद आंदोलन की एक पहली अगुआई थीं, जो कविता में रोमांटिकता और सौंदर्य को जोर देने की बात करती थी। आज इस लेख में हमलोग महादेवी वर्मा जीवन परिचय के बारे में जानेगे।

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Mahadevi verma biography in hindi | महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

नाममहादेवी वर्मा
जन्म तिथि26 मार्च 1907
जन्म स्थानफर्रुखाबाद (अब अयोध्या) उत्तर प्रदेश
उम्र80 साल (मृत्यृ के समय)
मृत्यृ की तिथि11 सितंबर 1987
मृत्यृ का स्थानप्रयागराज उत्तर प्रदेश
पेशाउपन्यासकार, लघुकथा लेखिका
पति का नामडॉ.स्वरूप नारायण वर्मा
पिता का नामश्री गोविंद प्रसाद वर्मा
माता का नामहेमरानी देवी
पुरस्कार1956 में पदम भूषण, 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार, 1988 में पदम विभूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया
कार्यक्षेत्रअध्यापक, लेखक
राष्ट्रीयताभारतीय
जातिब्राह्मण
प्रारंभिक शिक्षा स्कूलमिशन स्कूल, इंदौर
कॉलेजक्रास्थवेट कॉलेज, इलाहाबाद
शैक्षिक योग्यताप्रयागराज विश्वविद्यालय से M.A
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

महादेवी वर्मा बीते सदी की सबसे प्रख्यात हिंदी कवियों में से एक थीं। वह भारत की हिंदी साहित्य में छायावादी काल के प्रमुख कवियों में सबसे चर्चित चार स्तंभों में से एक थीं। महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के नवदीह में हुआ था। उनके पिता का नाम बाबू श्री गोविंद प्रसाद वर्मा था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर में ही प्राप्त की थी, जहां उन्हें ज्यादा से ज्यादा शिक्षा उनकी माता जी ने दी थी। बाद में उन्हें स्थानीय स्कूल में भी दाखिल कराया गया था।

महादेवी वर्मा की माँ संस्कृत और हिंदी दोनों भाषा में सामान रूप से पारंगत थीं और धार्मिक महिला थीं। महादेवी वर्मा जी ने अपनी माँ से कविता लिखने और साहित्य में रूचि लेने के लिए प्रेरणा ली। उनकी माँ का प्रभाव उनके काम में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता था। उनका काम आध्यात्मिक और नैतिक विषयों पर आधारित था। उनके परिवार ने शिक्षा और साहित्य को बहुत महत्व दिया था जिससे वह लेखक और समाजवादी के रूप में पहचान बनाई थीं।

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय कक्षा 12 | Mahadevi Verma ka Jivan Parichay class 12th and महादेवी वर्मा का जीवन परिचय कक्षा 9

महादेवी वर्मा की शिक्षा

महादेवी वर्मा ने जैसे ही छठी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त किया , उनके माता पिता ने उनका मात्र नौ वर्ष के बाल्यावस्था में ही विवाह करवा दिया। उस समय उनके पति स्वरूपनारायण वर्मा की उम्र भी यही कोई १४-१५ वर्ष रही होग। इससे उनकी शिक्षा की निरंतरता टूट गयी, क्योंकि महादेवी वर्मा जी के ससुर लड़कियों के उच्च शिक्षा के पक्ष में नहीं थे। लेकिन जब महादेवी वर्मा के ससुर का स्वर्गवास हो गया, तो महादेवी जी ने पुनः अपने पति के सहमति से शिक्षा प्राप्त करना शुरू कर दिया था।

साल 1920 में महादेवी जी ने प्रयागराज से प्रथम श्रेणी में मिडिल स्कूल पास कर लिया। संयुक्त प्रान्त जो की (वर्तमान उत्तर प्रदेश का एक हिस्सा) के विद्यार्थियों में समूचे प्रान्त में उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया। फलस्वरूप उन्हें छात्रवृत्ति मिलने लगा था। वर्ष 1924 में महादेवी जी ने इंट्रेस (हाईस्कूल) की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और पुनः प्रान्त भर में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इस बार भी उन्हें छात्रवृत्ति मिली। वर्ष 1926 में उन्होंने इंटरमीडिएट और वर्ष 1928 में बी० ए० की परीक्षा क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज से पास की। वर्ष 1933 में महादेवी जी ने संस्कृत से एम० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। इस प्रकार उनका विद्यार्थी जीवन बहुत सफल रहा। बी० ए० में उनका एक विषय दर्शन भी था, इसलिए उन्होंने भारतीय दर्शन का गंभीर अध्ययन किया। इस अध्ययन की छाप उन पर अंत तक बनी रही। महादेवी वर्मा ने अपने प्रयत्नों से इलाहाबाद में ‘प्रयाग महिला विद्यापीठ’ की स्थापना की। इसकी वे प्रधानाचार्य एवं कुलपति भी रहीं।

महादेवी वर्मा की लेखन शैली एवं प्रमुख रचनाएं

महादेवी जी ने अपनी कविता अउर काव्यों में खड़ी बोली का प्रयाग किया , उन्होंने कड़ी भाषा को बड़े ही कोमलता से प्रयोग किया जितना कभी पहले ब्रज भाषा में ही किया गया लेकिन इन्होंने खड़ी बोली को चुना। संस्कृत से पढ़ी होने के कारण इन्होने अपनी काव्य रचना में संस्कृत के शब्दों का खूब प्रयोग किया है। साथ ही इन्होंने बंगला भाषा से भी अपना जुड़ाव दिखाया है। वह भारत की हिंदी साहित्य में छायावादी काल के प्रमुख कवियों में सबसे चर्चित चार स्तंभों में से एक थीं।

महादेवी वर्मा की रचनाएं

महादेवी वर्मा का काव्य गीतिकाव्य है उनके काव्य में दो सहेलियां प्रमुखत चित्र शैली, प्रगति शैली हैं।
महादेवी वर्मा की भाषा शुद्ध साहित्य खड़ी बोली है।

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं

महादेवी वर्मा ने लेखन की दुनिया में उतरने से पहले शिक्षा के क्षेत्र में कुछ समय व्यतीत किया। उन्होंने कुछ समय तक महिलाओं के लिए एक शिक्षा संस्थान चलाया था जो मुख्य रूप से बालिकाओं के लिए था। महादेवी वर्मा ने अपनी कविताएं अपनी मातृभाषा हिंदी में लिखीं।

उन्होंने अपनी पहली कविता, ‘मधुर-मधुर वाणी’ को 1927 में प्रकाशित किया था। उनकी कविताएं उत्तर प्रदेश के जीवन-दृष्टिकोण को दर्शाती थीं, उन्होंने महिलाओं के मुद्दों पर भी अपनी कविताओं के माध्यम से बात की।

महादेवी वर्मा की कविताओं में स्त्रीवादी तत्त्व बड़ी मात्रा में थे। उन्होंने समाज में महिलाओं की स्थिति के बारे में लिखा, उनके अधिकारों के बारे में और वह कैसे समाज की संरचना को बदल सकती हैं।

उनके लेखन में प्रेम और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर भी ध्यान दिया गया था। उनकी कविताओं में प्रेम की अलग-अलग विधाएँ, जैसे कि अधूरी मोहब्बत, विचलित प्रेम, आदि दिखाई देती थीं।

महादेवी वर्मा की कविताएं

कविताएं अंग्रेजी, उर्दू, अवधी और ब्रजभाषा में भी लिखी गई थीं। उन्होंने कुल मिलाकर लगभग 100 पुस्तकें लिखीं, जिनमें कविता संग्रह, नाटक, उपन्यास, आत्मकथा और लघुकथाएँ शामिल थीं।

उन्होंने हिंदी साहित्य के साथ-साथ समाज के मुद्दों पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा, स्वतंत्रता आंदोलन और अन्य मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई अभियानों में भी भाग लिया।

साहित्य जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई हुई है। उन्होंने न केवल अपनी प्रेरणादायक कविताओं से अपनी महत्त्वपूर्ण जगह बनाई, बल्कि उन्होंने अपने उपन्यासों, नाटकों और आत्मकथाओं के माध्यम से भी एक अलग मंच बनाया।

Mahadevi Verma Poems

  • मैं नीर भरी दुख की बदली! मैं नीर भरी दुख की बदली! …
  • सजल मुख मेरा सजल मुख देख लेते! …
  • आँखें उनींदी चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! …
  • अलि, मैं कण-कण को जान चली …
  • जब यह दीप थके तब आना …
  • पूछता क्यों शेष कितनी रात? …
  • यह मन्दिर का दीप …
  • जो तुम आ जाते एक बार

महादेवी वर्मा की कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें इस प्रकार हैं:

यहां से वहां तक – यह पुस्तक उनकी आत्मकथा है। इसमें उन्होंने अपने जीवन की यात्रा के बारे में बताया है।

निम्नलिखित – यह उनकी प्रमुख कविताओं का संग्रह है। इसमें उनकी सामाजिक व सांस्कृतिक दृष्टि को बखूबी दिखाया गया है।

स्त्रीपुरुष – इस पुस्तक में महादेवी वर्मा ने समाज में लड़कियों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए लड़ाई का संदेश दिया है।

धरा के हाथों – इस पुस्तक में महादेवी वर्मा ने वन्य जीवन और वनों की संरक्षा के महत्व को बताया है।

मेरी सहेलियाँ – यह पुस्तक महादेवी वर्मा की कुछ बेहतरीन कहानियों का संग्रह है।

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महादेवी वर्मा के काव्य संकलन


महादेवी वर्मा
जी के 10 से ज्यादा काव्य संकलन प्रकाशित हुए जिनमें से निम्न है।

आत्मिका, निरन्तरा, परिक्रमा, सन्धिनी 1965 में यामा 1936 में गीतपर्व, दीपगीत, स्मारिका और हिमालय उल्लेखनीय है।

महादेवी वर्मा को मिली प्रमुख पुरस्कार और सम्मान

Mahadevi Verma Awards

उन्होंने अपनी सफलताओं के लिए अनेक पुरस्कार भी जीते। उनमें से कुछ पुरस्कार निम्नलिखित हैं:

  1. पद्मश्री – 1956
  2. साहित्य अकादमी पुरस्कार – 1961
  3. पद्मभूषण – 1971
  4. दुर्गा पुरस्कार – 1979

महादेवी वर्मा एक ऐसी महिला थी जो समाज की बदलती दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रहीं। उन्होंने समाज में स्त्री एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। वह सदैव अपने समय के संघर्षों के लिए तैयार रहती थीं और इसलिए उनके लेखन में उनके संघर्षों की आत्मा हमेशा नजर आती थी।

महादेवी वर्मा का सामाजिक जुड़ाव एवं योगदान

उन्होंने एक ऐसी संस्कृति को दी जिसमें स्त्री और अल्पसंख्यकों के प्रति समान अधिकार हों। उनके लेखन में स्त्री की स्थिति, समाज में समानता की मांग, अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए संघर्ष आदि व उनके लेखों में सामाजिक न्याय, समाज में समानता, स्त्री शिक्षा और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का मुद्दा उठाया जाता था। उन्होंने अपने लेखों से लोगों को जागरूक किया और समाज में संशोधन लाने के लिए प्रेरित किया। वे एक ऐसी महिला थीं जो अपनी कलम के ज़रिए समाज को जागरूक करने में सक्षम थीं।

महादेवी वर्मा का जीवन एक प्रेरणादायक उदाहरण है जो समाज को अपने समय के संघर्षों के लिए तैयार रहने और समाज में समानता को बढ़ावा देने की शिक्षा देता है। वह एक ऐसी महिला थीं जो अपनी कलम से समाज के अंधविश्वासों को दूर करने का काम करती थीं और लोगों को एक बेहतर भविष्य की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती थीं।

महादेवी वर्मा का भारतीय साहित्य और समाज में योगदान असीम है। उनकी रचनाएं न केवल देश के साहित्यिक परिदृश्य में बदलाव लाने में मदद की, बल्कि समाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने और महिलाओं और समाज के पिछड़े वर्गों के प्रति समाजीवृत्तियों में बदलाव लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

महादेवी वर्मा के साहित्यिक करियर के पांच दशक तक कई रचनाएं लिखी गईं, जिनमें कविताएं, छोटी कहानियां, निबंध और उपन्यास शामिल थे। उनकी कविताओं की विख्याता उनकी गीतिक स्वर, उपमा का उपयोग और इंसानी अनुभव के सार को कैप्चर करने की क्षमता के लिए है। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में “यमा”, “संध्या गीत”, “दीपशिखा”, “नीलकंठ” और “अग्निरेखा” शामिल हैं।

साथ ही एक उत्साही सामाजिक कार्यकर्ता भी होने के नाते महादेवी वर्मा महिलाओं के सशक्तिकरण और बच्चियों की शिक्षा के लिए सक्रिय रहीं।

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बल्कि उनकी रचनाओं से समाज में संगठित होने की भावना का भी विकास हुआ। महादेवी वर्मा अपनी कविताओं के माध्यम से नारी के स्थान और सम्मान के बारे में समाज को जागरूक करती थीं। उनके रचनाकारिता में स्त्री होने का अहसास बहुत ज्यादा था और इस बात को वह अपनी रचनाओं में बखूबी दिखाती थीं। उन्होंने एक नई गद्य-विधा भी आविष्कार की थी, जो सामाजिक मुद्दों को उठाने के लिए काफी प्रभावी साबित हुई।

महादेवी वर्मा के बारे में रोचक तथ्य इस प्रकार हैं :

  • महादेवी का बाल विवाह किया गया लेकिन शादी के कुछ वर्षो बाद इन्होंने अपना जीवन अविवाहित की तरह ही गुजारा।
  • महादेवी वर्मा की रुचि, साहित्य के साथ साथ संगीत में भी थी। चित्रकारिता में भी इन्होंने अपना हाथ आजमाया।
  • महादेवी वर्मा का पशु प्रेम किसी से छुपा नहीं है वह गाय को अत्यधिक प्रेम करती थी। वही उनकी एक रचना “गिल्लू ” ने खूब सराहना बटोरी।
  • महादेवी वर्मा के पिताजी मांसाहारी थे और उनकी माताजी शुद्ध शाकाहारी थी।
  • महादेवी वर्मा कक्षा आठवीं बोर्ड परीक्षा में अपने पूरी प्रांत में प्रथम स्थान पर रही।
  • महादेवी वर्मा इलाहाबाद महिला विद्यापीठ की कुलपति और प्रधानाचार्य भी रही।
  • यह भारतीय साहित्य अकादमी की सदस्यता ग्रहण करने वाली पहली महिला थी जिन्होंने 1971 में सदस्यता ग्रहण की।

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

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