Last Updated on July 18, 2023 by Manu Bhai
चालाक हिरण और डरपोक बाघ की कहानी
“एक प्रेरणादायक कहानी”
चालाक हिरण और डरपोक बाघ की कहानी : एक बहुत हीं घना जंगल था, जो चारो ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ था, उस जंगल में बहुत सारे तरह तरह के जानवर रहते थे, वहाँ एक चालाक हिरण और डरपोक बाघ भी रहता था. उसी जंगल में एक चालाक हिरण अपने दो युवा शावकों के साथ घास और पत्तियां खा रहा था. हिरण के युवा शावक आपस में खेल-कूद और खुशी से झूम रहे थे. हिरण भी अपने शावकों का ध्यान रख रही थी. वो जिधर जिधर भी जाते हिरण उनके पीछे हो जाती.
तभी अचानक उसके युवा बच्चे खेलते-खेलते एक गुफा में घुस गए। यह देख हिरण भयभीत हो गयी, क्योंकि यह एक बाघ की गुफा थी. उसने देखा कि गुफा के चारों ओर मृत जानवरों की हड्डियाँ बिखरी पड़ी थीं. किस्मत से, बाघ उस समय गुफा के अंदर नहीं था.
हिरण अपने शावकों को गुफा से बाहर ले जाने की हर संभव कोशिश कर रही थी. तभी उसने एक तेज़ दहाड़ सुनी, हिरण को समझते देर न लगी कि बाघ आ गया है. उसने कुछ हीं दूरी पर बाघ को देखा, जो गुफा की तरफ आ रहा था.
चुकी बाघ अंदर आ रहा था तो अब गुफा से बाहर जाना काफ़ी खतरनाक था. उसने तुरंत हीं अपने दीमाग में एक प्लान बनाया, बाघ गुफा के काफ़ी करीब आ चुका था.
हिरण ने अचानक जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया, मेरे छोटे बहादुर बच्चे रोते नहीं हैं. बच्चों मैं तुम्हारे खाने के लिए आज एक बाघ को पकड़ कर लाऊंगा और आपलोगों को मजेदार डिनर की दावत दूंगा.
जब बाघ ने चालाक हिरण को ये शब्द कहते सुना कि बाघ को पकड़ कर लाऊंगा, वह परेशान हों गया. बाघ मन हीं मन सोचने लगा कि “गुफा से वह अजीब आवाज किसकी आ रही है? शायद मुझे पकड़ने के लिए एक खतरनाक जानवर अंदर घुसा हुआ है.
बाघ ने मन ही मन कहा कि इससे पहले वो ख़तरनाक जानवर मुझे मार दे, मुझे यहाँ से भाग जाना चाहिए. यदि मैंने कुछ और देर की तो मौत से मुझे कोई नहीं बचा सकता. मौत से बचने के लिए मुझे भागना हीं पड़ेगा.
इतना कहते हुए बाघ बड़ी हीं तेजी से वहां से भागने लगा.
अचानक एक सियार ने बदहोश भागते हुए बाघ को देखा. सियार ने बाघ से पूछा, “महाराज आप बड़े डरे से लग रहे हैं, क्या बात है, इतनी तेजी से क्यों भाग रहे हैं?”
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चालाक हिरण और डरपोक बाघ “एक प्रेरणादायक कहानी”
बाघ ने उत्तर दिया “मेरे मित्र, तुमने ठीक समझा, मैं वाकई में डरा हुआ हुँ. एक बहुत ही शक्तिशाली और भयंकर जानवर मेरी गुफा पर कब्ज़ा कर लिया है. उसके छोटे छोटे बच्चे खाने के लिए एक बाघ का रोना रो रहे हैं.
वे बच्चे अपने लिए एक बाघ को पकड़ने की जिद किये हुये हैं. और उनका बाप उन्हें बाघ को पकड़ने का वादा किया है. जिसका आज रात को वेलोग दावत उड़ाएंगे. मेरे दोस्त, इसलिए, मैं बहुत डरा हुआ हुँ और कहीं दुर भाग जाना चाह रहा हूं. “
चालाक सियार को अब विश्वास हो गया था, कि बाघ बेहद डरपोक और कायर है. चालाक सियार ने बाघ से कहा: “डरो नहीं महाराज, कोई भी जानवर बाघ की तुलना में मजबूत और बलवान नहीं होता है. वापस गुफा की ओर चलिए, ये पता लगाने के लिए की सच्चाई क्या है?
लेकिन डरपोक बाघ ने कहा, “मैं अब कोई चांस नहीं लेना चाहता. मुझे तुमपे भरोसा नहीं, मुसीबत आने पर तुम भाग भी सकते हो. तुम मुझे मरने के लिए अकेला छोड़ दोगे, इसलिए, मैं तुम्हारे साथ नहीं आऊंगा.”
चतुर सियार ने समझाते हुये कहा, “मुझ पर भरोसा रखिये महाराज, आइए हम अपनी पूंछ को एक साथ बाँध लें, फिर मैं आपको छोड़ नहीं पाऊंगा. ”
बाघ बुझे मन से इस प्रस्ताव पर सहमत हो गया. सियार ने दोनों की पूंछ आपस में गाँठ बाँध ली. अब वे दोनों एक साथ गुफा की ओर चल पड़े.
चालाक हिरण ने सियार और बाघ को एक साथ गुफा की ओर आते देखा और उसने फिर से चिल्लाना शुरू कर दिया.
चालाक हिरण ने गुफा के अंदर खड़े अपने बच्चों की तरफ देखा और जोर से बोला, “ मेरे प्यारे बच्चों, देखो कौन आया है…. मैंने अपने मित्र “चतुर सियार” से, हमारे लिए एक तगड़ा, हट्टा-कट्टा बाघ को पकड़ने के लिए अनुरोध किया था.
अब देखो सियार अंकल ने हमारे लिए एक बाघ पकड़ लिया है. उसने बाघ की पूंछ को अपनी पूंछ से बांध दिया है, जिससे वह बाघ भाग भी नहीं पायेगा. बच्चों तैयार हो जाओ, हमारे रात के खाने का इंतजाम हो गया है.
इतना सुनते हीं बाघ चौंक गया, उसे अब ये यकीन हो गया था कि सियार ने उसे धोखा दिया है. इसलिए, बाघ ने बिना देर किये अपनी गुफा के अंदर खड़े भयानक जानवर से बचने का फैसला किया. उसने बिना देरी किये दौड़ लगा दी.
वह इतना डर गया था कि उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. वह भूल गया था कि सियार की पूछ उसके पूँछ से बँधी है और उसने सियार को चट्टानों और कांटों पर खींचता चला गया.
बदहोश भागने के चक्कर में सियार दो चट्टानों के बीच फंस गया. जिससे उसकी पूंछ कट गई और इस घटना में सियार मारा गया. बाघ भी अपनी पूँछ कटा बैठा. पूंछ-रहित बाघ जंगल के दूसरे ओर पहाड़ पार कर भाग गया.
चालाक हिरण और उसके युवा बच्चे बाघ की गुफा से सुरक्षित बाहर निकल गए. और वे अपने झुंड में सुरक्षित रूप से फिर से शामिल हो गए.
दोस्तों इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि मुसीबत के समय इंसान को धैर्य और सूझबूझ से काम लेना चाहिए. मुसीबत चाहें कितनी भी बड़ी क्यों न हो यदि हम समझदारी से काम लें तो हम आपने साथ साथ औरों की भी जान बचा सकते हैं.
धन्यवाद
very nice story. inspirational story.
thanks for sharing.