छोटी सी कविता हिंदी में – कुछ छोटी-छोटी कविताओं का संघर्ष / Chhoti Si Kavita in Hindi

Last Updated on August 22, 2023 by Manu Bhai

छोटी सी कविता हिंदी में : वर्तमान समय में जीवन की गतिशीलता और भागदौड़ ने मानवीय भावनाओं को एक ऐसे स्तर पर पहुंचा दिया है जहाँ हमारे भाव और विचारों को सुनने का और उन्हें समझने का समय बहुत ही कम रह गया है। हमारे आस-पास की दुनिया एक संघर्ष, तनाव और स्ट्रेस से भरी हुई है, और हमें अपने आप को इससे छुटकारा पाने की जरूरत होती है। इसलिए, इस लेख में हम आपको कुछ छोटी-छोटी कविताओं के माध्यम से एक मानसिक शांति और प्रेरणा के स्रोत के बारे में बताएंगे। ये कविताएँ आपको जीवन के रंग-बिरंगे पहलुओं को महसूस कराएंगी और आपकी भावनाओं को स्पर्श करेंगी। इसे पूरा पढ़े और आनंद ले। Chhoti Si Kavita Sangrah .

छोटी सी कविता हिंदी में

कविता – छोटी सी है जिंदगी

Mere Alfaz


अपना बनाओ किसी को तो किसी का साथ निभाते रहो
मंजिल के रास्ते टेढ़े-मेढे क्यों न हों चलते रहो
सपने पूरे करने हैं तो कोशिश करते रहो
मुश्किलों में सबके काम आते रहो
हंसते रहो और सबको हँसाते रहो
गम को खुशियों में बदलते रहो
अपनों का साथ निभाते रहो
धीरे धीरे ऐसे ही ज़िन्दगी को समझते रहो
छोटी सी है ज़िन्दगी मुस्कुरा कर जीते रहो।

खुशबू वर्मा

छोटी सी कविता हिंदी में

आंखों ने आंखों में ही बात कर

कुछ राज आंखों में ही छिपा लिया।

रूठी हुई आंखों को उसकी उसने

अपनी आंखों से ही मना लिया।

दिल तक जानें का कोई रास्ता न था

तो आंखों ही आंखों में दिल चुरा लिया

मदहोश कर दिया महफ़िल को नशे शराब में

जाम होठों से नहीं उसने आंखों से पिला दिया।

होश में है ही नहीं बहक रहे क़दम संभले

बिजलियां गिरा कर अदाओं की बहका दिया।

फूल में खूशबू नहीं न थी उसमें रंगत कोई

चूम कर होठों से उसको भी महका दिया।

मोहब्बत से तौबा कर रहे दिलों को भी

पल भर में ही मोहब्बत सिखला दिया

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छोटी सी हमारी नदी कविता

Class 5 kavita


छोटी सी हमारी नदी टेढ़ी मेढ़ी धार
गर्मियों में घुटने भर भिगो कर जाते पार।
पार जाते ढ़ोर डंगर, बैलगाड़ी चालू
ऊँचे हैं किनारे इसके, पाट इसका ढ़ालू।
पेटे में झकाझक बालू कीचड़ का न नाम
काँस फूले एक पार उजले जैसे घाम।

दिन भर किचपिच किचपिच करती मैना डार डार
रातों को हुआँ हुआँ कर उठते सियार।
अमराई दूजे किनारे और ताड़ वन
छाँहों छाँहों बाम्हन टोला बसा है सघन।

कच्चे बच्चे धार कछारों पर उछल नहा लें
गमछों गमछों पानी भर भर अंग अंग पर ढ़ालें।
कभी कभी वे साँझ सकारे निबटा कर नहाना
छोटी छोटी मछली मारें आँचल का कर छाना।
बहुएँ लोटे थाल माँजती रगड़ रगड़ कर रेती
कपड़े धोतीं, घर के कामों के लिए चल देतीं।

जैसे ही आषाढ़ बरसता, भर नदिया उतराती
मतवाली सी छूटी चलती तेज धार दन्नाती।
वेग और कलकल के मारे उठता है कोलाहल
गँदले जल में घिरनी भँवरी भँवराती है चंचल।
दोनों पारों के वन वन में मच जाता है रोला
वर्षा के उत्सव में सारा जग उठता है टोला।

कवि का निंद्रा से संघर्ष


सब सो गये हैं
पर कहाँ मैं सोया हूँ
सब सो गये हैं
कल उठने के लिए
पर मैं जगा हुआ हूँ
जीवन में ऊपर उठने के लिए
सब थक कर सो गए हैं
पर मैं थकने के बाद भी जगा हुआ हूँ
जीवन के भर के लिए, क्योंकि कवि हूँ मैं
सब अच्छे है उन्हें अपनी मंज़िल पता है (जीवन भर के लिए सोना)
पर मैं एक इमारत बनाना चाहता हूँ मौत की गोद में सोने से पहले.
A Poem by – Deepak Sharma

बहन के जन्मदिन पर कविता – मेरी प्यारी नटखट बहना


मेरी प्यारी नटखट बहना, उठ भी जाओ – उठ भी जाओ
सबके साथ मिलकर आज अपना जन्मदिन मनाओ
सबसे पहले मैं तुम्हें दे रहा हूँ बधाई
क्योंकि शरारती हीं सही पर मैं हूँ तेरा भाई
वादा करता हूँ आज न तुम्हें सताऊंगा
तुम जो भी बोलोगी, मैं ख़ुशी-ख़ुशी करता जाऊंगा
हम सब सुबह सबेरे पहले मन्दिर जायेंगे
भगवान जी से तेरे लिए, ढेरों खुशियाँ मांग लायेंगे
आज घूमने चलेंगे हम घर वालों के साथ
फिर होंगे सब एक साथ, जब होगी रात
मैं तुम्हारे लिए अपने हाथों से केक बनाऊंगा
मैं तुम्हारे लिए पूरे घर को सजाऊंगा
मैंने तुम्हारी सहेलियों को भी घर बुलाया है
तुम्हें चौंकाने के लिए बेहतरीन प्लान बनाया है
पापा ने तुम्हारे लिए नई स्कूटी खरीदी है
माँ ने तुम्हारे लिए नई सूट सिलवा दी है
तुम्हारा जन्मदिन हम सभी को खुश क़र जाता है
तुम हो सबके लिए कितनी खास यह एहसास करा जाता है.

– Abhishek Mishra “ Abhi “

चमत्कारी किताब – बाल कविता। Hindi poem for class 1

ज्ञान का भंडार हैं किताब।

शिक्षा का आधार है किताब।

भूले भटकों को राह दिखाती।

मनोरंजन का भंडार हैं किताब।

जिज्ञासुओं की प्यास बुझती।

ऐसी होती हैं मजेदार किताब।

पथभ्रष्ट को सबक सिखाती।

मिटाती सब अंधकार किताब।

आंख खुलती पाकर साथ इसका।

ऐसी उपकारी है किताब।

छोटी सी कविता – जीवन राह


मौत की परछाईं पर
जिंदगी जीनें आया था,
हर गम की बाहों को मोड़
जीवन राह बनाया था।

कांटे बिछे थे राहों में
पैरों में थे छाले,
हमने तो तुफानो में भी,
रखा होश संभाले।

हमें सुकून की चाहत थी
मगर ठोकरें मिलीं सदा,
हर मुश्किलों पर मैंने
अपने साथ पाया खुदा।

क्या औकात ग़मों की थी,
जो मुझसे टकराते
क्योंकि हम तो हर गम में
रहे सदा मुसकाते।

उसके बिछाए मोहरों को
मैंने चाल सिखाया था,
खुद की तकलीफों में उसे
हँस कर मैंने चिढाया था।

हर गम की बाँहों को मोड़
जीवन राह बनाया था,
मौत की परछाई पर
जिंदगी जीने आया था।

छोटी सी ठंड पर कविता

किट किट दांत बजाने वाली,
आई सर्दी आई।

भाग गये सब पतले चादर,
निकली लाल रजाई।

दादा, दादी, नाना, नानी,
सब सर्दी से डरते।

धूप सेंकते, आग तापते,
फिर भी रोज ठिठुरते।

कोट पहन कर मोटे वाला,
पापा दफ्तर जाते।

पहने टोपा, बांधे मफ्लर,
सर्दी से घबराते।

मम्मी जी की हालत पतली,
उल्टी चक्की चलती।

हाथ पैर सब ठन्डे ठन्डे,
मुँह से भाप निकलती।

लेकिन हमसब छोटे बच्चे,
कभी नहीं घबराते।

मस्ती करते हैं सर्दी में,
दिन भर मौज मनाते।

वर्षा (बारिश) पर कविता | Poem on Rain in Hindi

वर्षा पर कविता या बरसात पर कविता

बरखा मेम “भगवतीप्रसाद गौतम”

झरमर झरमर झड़ी लगाती
कड़ कड़ कड़ बिजली चमकाती
बड़े चाव से हमें बुलाकर
खूब खिलाती मेम
आई बरखा मेम मटकती
आई बरखा मेम

श्याम घटाएं जिसे सुहातीं
जिसे उफनती नदियाँ भातीं
चले हमारे साथ, करे जो
बौछारों से प्रेम
आई बरखा मेम

दौड़ा नन्नू नाव तिराने
छन्नू छप छप घूम मचाने
टपक टपकती बूंदों को लो
झेलें मिस्टर जेम
आई बरखा मेम

मस्त मोर मन में क्या नाचें
मेंढक टर टर पोथी बांचें
मना रहे हैं पिकनिक हिलमिल
सरजू, सोम, सलेम
आई बरखा मेम मटकती
आई बरखा मेम

रिमझिम रिमझिम बारिश आई “बीना राघव”

रिमझिम रिमझिम बारिश आई
काली घटा फिर से छाई
नदी सी सड़क लबालव पानी
मुझे कागज की नाव चलानी
चुन्नु मुन्नु घर पर आए
रंग बिरंगे छाते लाए
कभी छप छप कभी थप थप
अच्छी लगती मुझको टप टप
सावन के घर न्यौता दे आई
ढेरों खुशियाँ फिर से लाई
रिमझिम रिमझिम बारिश आई
काली घटा फिर से छाई

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