Last Updated on March 13, 2023 by Manoranjan Pandey
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खुद तकलीफ का स्वाद चखे बिना किसी को दूसरे की विपत्ति का एहसास नहीं होता है।
हिंदी कहानी : विपत्ति का एहसास
दोस्तों आज कि कहानी है , विपत्ति का एहसास : एक समय कि बात है, एक राजा अपने कुत्ते के साथ यात्रा पे निकला और आगे कि यात्रा नाव में करना था सो वह राजा नाव में भी अपने कुत्ते के साथ हीं सवार हुआ एवं यात्रा प्रारम्भ कर दी. उस नाव में राजा के अलावा अन्य यात्री भी सफर कर रहे थे. तथा अन्य यात्रियों के साथ एक दार्शनिक भी था।
इससे पहले कुत्ते ने कभी भी नाव में सफर नहीं किया था, इसलिए वह कुत्ता अपने को सहज महसूस नहीं कर पा रहा था। वह कुत्ता भरे नाव में उछल-कूद कर रहा था और किसी को चैन से नहीं बैठने दे रहा था। मल्लाह उस कुत्ते की हरकत और उसकी उछल-कूद से परेशान था कि ऐसी स्थिति में कहीं यात्रियों की हड़बड़ाहट से नाव डूब न जाय। उसकी परेशानी वाजिब भी थी परन्तु वह कुत्ता राजा का था इसलिए मल्लाह की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो उसे डांटे या डरा कर शांत करा दें.
वह सोच रहा था कि वह भी डूबेगा और दूसरों को भी ले डूबेगा। परन्तु कुत्ता अपने स्वभाववश उछल-कूद में लगा था। जिससे नाव में बैठे अन्य यात्री भी असहज महसूस करने लगे. ऐसी स्थिति देखकर राजा भी गुस्से में तिलमिला रहा था, पर कुत्ते को सुधारने का या उसे शांत कराने का कोई उपाय उनके समझ में भी नहीं आ रहा था।
नाव में बैठे दार्शनिक ये सब चुपचाप देख रहा था परन्तु जब राजा के कोशिश करने पर भी वह कुत्ता सुधरने का नाम नहीं ले रहा था तो उस दार्शनिक से रहा नहीं गया। और उसने उस कुत्ते को सबक सिखाने कि सोची. वह दार्शनिक राजा के पास गया और बोला : “महाराज । अगर आप मुझे अनुमति दें तो मैं इस कुत्ते को भीगी बिल्ली बना सकता हूँ।” राजा ने बिना एक पल भी गवाएं तत्काल अनुमति दे दी। फिर क्या था दार्शनिक ने नाव में बैठे दो यात्रियों का सहारा लिया और उस कुत्ते को नाव से उठाकर नदी में फेंक दिया।
कुत्ता को कुछ समझ में नहीं आया कि आखिर क्या हुआ वह नदी में तैरने कि कोशिश करने लगा और तैरता हुआ नाव के खूंटे को पकड़ने कि कोशिश करने लगा। उसको अब अपनी जान के लाले पड़ रहे थे। कुछ देर बीतने के बाद दार्शनिक ने उसे खींचकर पुनः नाव में चढ़ा लिया। वह कुत्ता चुपके से जाकर एक कोने में बैठ गया। अब वह कुत्ता अपनी जगह से हिल भी नहीं रहा था. उसके स्वाभाव में अचानक बदलाव आ गया था.
नाव के अन्य यात्रियों के साथ-साथ राजा को भी उस कुत्ते के बदले व्यवहार पर बड़ा आश्चर्य हुआ।
राजा ने दार्शनिक से पूछा : कृपा कर ये बताओ कि “यह कुत्ता पहले तो उछल-कूद और हरकतें कर रहा था। परन्तु अब वाकई भीगी बिल्ली बन गया. यह कैसे संभव हुआ कि यह पालतू बकरी की तरह चुपचाप बैठा है ?
दार्शनिक बोला : “खुद तकलीफ का स्वाद चखे बिना किसी को दूसरे की विपत्ति का एहसास नहीं होता है.
इस कुत्ते को जब मैंने पानी में फेंक दिया तो इसे पानी की ताकत और नाव की उपयोगिता समझ में आ गयी।”
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धन्यवाद.
नोट : आप सब से आग्रह है की यदि यह कहानी अच्छी लगे तो कृपा कर कमेंट अवश्य करें .
This is a beautiful story.and full of lessons. Thanks for the sharing this story. Main aaap post padnta hun. Mujhe kahi acnhe latte Iain.
Thanks