Last Updated on August 8, 2023 by Manu Bhai
मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं ? यह प्रश्न जितना आसान लगता है इसका जवाब उतना आसान नहीं है। तो चलिए जानते है – देश ने लोहड़ी के पर्व पर न केवल गर्मजोशी से स्वागत किया बल्कि मकर संक्रांति के जयकारे और पोंगल की शुभकामनाएं देने के लिए कमर कस ली है. हां, यह वास्तव में लोहड़ी, मकर संक्रांति और पोंगल से शुरू होने वाले शीतकालीन फसल त्योहारों की श्रृंखला के रूप में सबसे खुशी का अवसर है.
मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं ? मकर संक्रांति का महत्व क्या है ? | Makar Sankranti kya hai?
मकर संक्रांति को मकरा संक्रांति या सकरात के रूप में भी जाना जाता है, कहीं-कहीं इसको उत्तरायणी भी कहा जाता है, जिसे भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न रूप से Celebrate किया जाता है, जो दिन को लंबे समय तक सूर्य के बदलाव का प्रतीक बनाता है. मकर संक्रांति का पर्व हिन्दू धर्म के प्रमुख पर्वों में शामिल है, जो कि सूर्य के उत्तरायन होने पर मनाया जाता है।
इस पर्व की विशेष बात यह है कि यह अन्य त्योहारों की तरह अलग-अलग तारीखों पर नहीं, बल्कि हर साल 14 जनवरी को हीं आता है।
14-15 January हीं वो Time होता है जब सूर्य उत्तरायन होकर मकर रेखा से गुजरता है.
यह त्यौहार मौसमी होने के साथ-साथ एक धार्मिक उत्सव भी है.
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Makar Sankranti 2022 and Pongal 2022 is
on 14 January 2022
Day – Friday
मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं और इसका भौगोलिक महत्व Makar Sankranti kyo manate hain
मकर संक्रांति एक ऐसा पर्व है जिसका सम्बन्ध भौगोलिक घटना और सूर्य की स्थिति से है .
सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं.
एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास कहलाता है, वैसे तो सूर्य संक्रांति 12 हैं, लेकिन इनमें से चार संक्रांति महत्वपूर्ण हैं.
जिनमें मेष, कर्क, तुला, और मकर संक्रांति महत्वपूर्ण हैं.
मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नान-दान और पुण्य के शुभ समय का विशेष महत्व है.
जब भी सूर्य का प्रवेश मकर राशि में होता है, वह दिन 14 जनवरी का ही होता है.
यदि हम ज्योतिष शास्त्र पे भरोसा करें तो इस दिन Sun Sagittarius यानि धनु राशि से निकल कर Capricorn यानि मकर राशि में प्रवेश करता है, और सूर्य के उत्तरायण की गति प्रारम्भ होती है.
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मकर संक्रांति को विभिन्न रूप में मनाते है
भारत एक विविधताओं से भरा देश है इसलिए यहाँ पर एक हीं पर्व-त्यौहार को मानाने की अलग अलग विधि एवं तरीका होता है.
देश के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति को मनाने का तरीका भी अलग अलग है.
भारत के दक्षिणी राज्यों, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इसे संक्रांति कहा जाता है, वहीं तमिलनाडु में इसे पोंगल पर्व के रूप में मनाया जाता है और उत्तर भारत में इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है.
उत्तरायण, माघी, खिचड़ी ये सब एक ही त्योहार के कुछ अन्य नाम हैं.
हालांकि मकर संक्रांति पुरे देश में किसी न किसी रूप में बेहद लोकप्रिय है, यह त्योहार मुख्य रूप से फसल का त्योहार है और पूरे भारत में उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक मनाया जाता है.
मकर संक्रांति तिल-गुल का त्यौहार है जहाँ तिल और गुड़ के लड्डू या चिक्की सभी के बीच वितरित की जाती हैं.
भारत के पूर्वी राज्य बिहार में मकर संक्रांति को विशेष रूप से मनाया जाता है, इसदिन सभी घरों में विशेष व्यंजन, खासकर चुरा-दही और तिलकुट खाने का रिवाज़ है.
मकर संक्रांति की मान्यताएं
मकर संक्रांति को स्नान और दान का पर्व भी कहा जाता है. इस दिन तीर्थों एवं पवित्र नदियों में स्नान का बेहद हीं ख़ास महत्व है.
साथ ही तिल, गुड़, खिचड़ी, फल राशि अनुसार दान करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है.
इस पर्व पे ये भी मान्यता है कि इस दिन किए गए दान से सूर्य देवत प्रसन्न होते हैं, एवं घर परिवार में खुशियाँ बनी रहती है.
मकर संक्रांति शांति और समृद्धि का पर्व है and यह दिन आध्यात्मिक प्रथाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और तदनुसार लोग नदियों, विशेष रूप से गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में पवित्र स्नान करते हैं.
ऐसा विश्वास है कि इस त्यौहार के मौके पर गंगा स्नान करने से पाप धुल जाते हैं. मकर संक्रांति दक्षिण एशिया के कई हिस्सों में कुछ क्षेत्रीय विविधताओं के साथ मनाया जाता है.
इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है और इस क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है.
यह भी माना जाता है कि अगर किसी की मृत्यु मकर संक्रांति के दौरान हो जाता है, तो उसका पुनर्जन्म नहीं होता है, वह जन्म और मृत्यु के चक्र से बाहर निकल जाता है, बल्कि सीधे स्वर्ग जाता है.
मकर संक्रांति पर पतंगबाजी
इन सभी मान्यताओं के अलावा मकर संक्रांति पर्व एक उत्साह और भी जुड़ा है.
इस दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व होता है और लोग बेहद आनंद और उल्लास के साथ पतंगबाजी करते हैं.
इस दिन कई स्थानों पर विशेष कर भारत के पक्षिमी राज्य गुजरात में पतंगबाजी के बड़े-बड़े आयोजन भी किए जाते हैं.
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धन्यवाद
Bahut achhe
Very nice article read it,lov it.