Last Updated on February 10, 2021 by Manoranjan Pandey
Contents
- Chaitra Navratri 2021: संतान और मोक्ष की प्राप्ति के लिए की जाती है स्कंदमाता की पूजा
- कौन हैं स्कन्द माता
- Chaitra Navratri 2021 स्कंदमाता कार्तिकेय की माता हैं
- स्कंदमाता इच्छा की करती हैं पूर्ति
- Chaitra Navratri 2021
- Chaitra Navratri 2021: जानिए कैसे हुआ है सप्तशती के मंत्रों में देवी के स्वरूप का वर्णन
- Chaitra Navratri 2021
- किस प्रकार करें स्कंदमाता की पूजा
- जानिये कैसा है स्कंदमाता का स्वरूप
- देवी मंत्र
- इसको को पढ़िए
- महाशिवरात्रि के पर्व का महत्त्व क्या है? और क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि
- वसंत पंचमी का महत्व, माँ सरस्वती की पूजा की कथा
- धन्यवाद
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Chaitra Navratri 2021: चैत्र नवरात्रि से हिन्दु नववर्ष के पंचांग की गणना शुरू होती है. Chaitra Navratri 2021, 13 अप्रैल 2021 से शुरू होकर 22 अप्रैल 2021 तक चलेगी.
चैत्र नवरात्रि में पांचवे दिन का महत्व भी अन्य दिनों से कम नहीं है. नवरात्री के पांचवे दिन को भक्तजन स्कंदमाता की पूजा बड़े धूमधाम से करते हैं। शास्त्रों में स्कंदमाता को कुमार कार्तिके की माता के रूप में मान्यता दी गयी हैं।
भारत में ही नहीं पुरे विश्व में चैत्र नवरात्रि नौ दिवसीय हिंदू त्योहार है। यह हिंदू चंद्र कैलेंडर के पहले दिन से शुरू होता है। चैत्र नवरात्र के पर्व में देवी शक्ति या देवी दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा का की जाती है। हर साल, यह शुभ हिंदू त्योहार अप्रैल और मार्च के महीने में मनाया जाता है। यह चैत्र के हिंदू महीने में मनाया जाता है और यह त्यौहार देवी दुर्गा के नौ अवतारों को समर्पित है।
उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में चैत्र नवरात्रि का उल्लेख राम नवरात्रि के रूप में भी किया जाता है। भगवान राम का जन्मदिन, राम नवमी, नवरात्रि उत्सव के दौरान नौवें दिन होता है। हिंदू चंद्र कैलेंडर चैत्र के महीने में मनाए जाने वाले उत्सवों का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे नए साल के रूप में भी परिभाषित किया जाता है। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा से होती है, और त्योहार की शुरुआत आंध्र प्रदेश में उगादी से होती है।

संतान और मोक्ष की प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की आराधना एवं पूजा करनी चाहिए ऐसा हमारे शास्त्रों में बताया गया है .
Chaitra Navratri 2021 चैत्र नवरात्री में चैत्र शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि और बुधवार का दिन है. हमारे सनातन धर्म शास्त्रों में आज के दिन को बहुत शुभ योग और शुभ तिथियां मन गया है। इसलिए नवरात्र का पांचवा दिन बहुत हीं महत्वपूर्ण है. चैत्र नवरात्र के पांचवे दिन देवी दुर्गा के रुप स्कंदमाता की पूजा करने का महत्त्व अधिक है.
तभी बहुत से सनातनी शास्त्रों में कहा गया इस बात को मानते हैं कि संतान की प्राप्ति और मोक्ष के लिए स्कंदमाता की आराधना करनी चाहिए. क्योंकि स्कंदमाता कार्तिकेय की माता हैं और जो इनकी आराधना करेगा उसे कार्तिकेय जैसे हीं पुत्र की प्राप्ति होती है.
कौन हैं स्कन्द माता
माँ स्कंदमाता की चार सुन्दर भुजाएँ हैं और वह माता एक शेर पर सवार हैं। उसकी 2 भुजाएँ कमल, 1 भुजा शिशु कार्तिकेय को उठाये हुए हैं, और एक अन्य भुजा अभय मुद्रा में रहता है। जैसा कि वह देवी माँ कमल पर बैठती है, देवी पद्मासना उनका दूसरा नाम है। स्कन्दमाता वह देवी हैं जो अपने भक्तों को शक्ति और समृद्धि के साथ आशीर्वाद देतीं हैं। साथ ही, वह अपने उपासक एवं भक्तजनो को अपार बुद्धि के साथ-साथ मोक्ष का आशीर्वाद भी देती हैं। स्कंदमाता को अग्नि की देवी भी माना जाता है। चूँकि वह इस रूप में मातृ प्रेम की प्रतीक हैं, भक्तों को उनके असीम प्रेम का आशीर्वाद मिलता है।
पुराण में उल्लेख किया गया है कि स्कंद का अर्थ है कुमार कार्तिकेय होता है अर्थात भगवान् कुमार कार्तिकेय को स्कन्द भी कहा जाता है। अर्थात, देवी पार्वती और भगवान शंकर के बड़े पुत्र कार्तिकेय जो भगवान स्कंद कुमार की माता हैं. अर्थात जो भगवन स्कन्द की माता हैं वही देवीमाँ स्कंदमाता हुई. कई हिन्दू शास्त्रों और पुराणों में वर्णन भगवान स्कंद के बाल स्वरूप को स्कन्दमाता अपनी दाई ओर ऊपर वाली भुजा से गोद में ली हुई हैं। कई जगह चित्रों में ऐसा भी दिखया गया है।
स्कंदमाता इच्छा की करती हैं पूर्ति
विद्वानों, पंडितों और ब्राम्हणो की माने तो नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा उपासना करने से व्यक्ति के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाता है. स्कंदमाता को इक्छापूर्णी माता भी कहा जाता है। कहते हैं कि भक्त यदि सच्चे मन से माँ कि आराधना करें तो स्कंदमाता अपने भक्तों की सभी इच्छाओं और मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
देवासुर संग्राम में स्कंदमाता के पुत्र भगवन कार्तिकेय को देवताओं के सेनापति थे . शास्त्रों और पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है. इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है. इनकी माता की पूजा में निम्न श्लोक का जाप आवश्यक रूप से करना चाहिए. बाकी सभी पूजा विधियों का सामान्य रूप से पालन करें
किस प्रकार करें स्कंदमाता की पूजा
भगवन कार्तिकेय की माता देवी स्कंदमाता को गुड़हल का पुष्प अति प्रिय है, इसलिए माता की पूजा में इसे अवश्य अर्पित करना चाहिए , साथ हीं फल एवं मिष्ठान का भोग लगाएं. स्कंदमाता की आरती कपूर से करें और इस मंत्र का जाप करें….
‘सिंहसनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥’
साथ ही एक और श्लोक का भी पाठ करें,
देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ll
इसका यह अर्थ है कि, हे मां आप सर्वत्र विराजमान और स्कंदमाता के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बारम्बार प्रणाम है. हे माता मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें.
इस दिन साधक का मन ‘विशुद्ध’ चक्र में अवस्थित होता है. शास्त्रों के अनुसार स्कंदमाता की मूर्ति भगवान स्कंद भगवान अर्थात, कार्तिकेय के बालरूप को गोद में बिठा कर बनाई जाती है.
जानिये कैसा है स्कंदमाता का स्वरूप
चार भुजाओं वाली देवी हैं स्कंदमाता. उन देवी ने अपनी दायीं तरफ की एक भुजा से स्कंदजी को गोद में पकड़े हुए हैं, और दूसरी भुजा में कमल का पुष्प है. जबकि बायीं तरफ ऊपर वाली एक भुजा वरदमुद्रा में हैं और दूसरी भुजा में यहां भी कमल पुष्प है। श्री मां स्कंदमाता पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं मानी जाती हैं. ये मान्यता है कि इनकी कृपा से मूर्ख भी ज्ञानी हो जाता है। इनका वर्ण शुभ्र है। यह कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है। ऐसा भी कहा जाता है कि इन्हीं की प्रेणना से कालिदास रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएं संभव हुईं।
देवी मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
श्री मां स्कंदमाता की पूजा के बाद भगवान शिव शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा करनी चाहिए. ऐसा शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति देवी स्कन्दमाता की भक्ति-भाव से पूजन करते हैं उसे देवी की कृपा प्राप्त होती है. देवी की कृपा से भक्तों की सारी मुरादें पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि बनी रहती है. वात, पित्त, कफ जैसी बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए.
इसको को पढ़िए
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वसंत पंचमी का महत्व, माँ सरस्वती की पूजा की कथा
आशा करता हुँ इस पोस्ट में माँ देवी स्कंदमाता के स्वरुप का वर्णन आपको अच्छा लगा होगा.
धन्यवाद