अटल बिहारी वाजपेयी की कविता- “नादान पड़ोसी को चेतावनी ” Atal Bihari Vajpeye Kavita

Last Updated on August 14, 2023 by Manu Bhai

अटल बिहारी वाजपेयी की कविता- नादान पड़ोसी को कड़ा सन्देश नहीं चेतावनी 

श्री अटल बिहारी वाजपेयी की लिखी यह कविता आज के समय में हमारे पड़ोसी देश को लेकर उतनी हीं प्रासंगिक है जितनी तब थी. अटल जी कविता संग्रह ‘मेरी इक्यावन कविताएं’ से लिया गया यहाँ कविता मैं पुलवामा में शहीद अपने भारत माँ के सपूतों को समर्पित करता हुँ. 

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। अटल जी के पिता का नाम श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी था एवं उनकी मां कृष्णा देवी थीं। उनके दादा का नाम श्याम लाल वाजपेयी था, वे उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में अपने पैतृक गांव बटेश्वर से ग्वालियर के पास मुरैना चले गए थे।

🙏जय हिन्द 🙏

नादान पड़ोसी को चेतावनी “मेरी इक्यावन कविताएं “

Atal Bihari Vajpeye Kavita

एक नहीं, दो नहीं, करो बीसों समझौते
पर स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा।

अगणित बलिदानों से अर्जित यह स्वतंत्रता
त्याग, तेज, तप, बल से ‍रक्षित यह स्वतंत्रता
प्राणों से भी प्रियतर यह स्वतंत्रता।

इसे मिटाने की ‍साजिश करने वालों से
कह दो चिनगारी का खेल बुरा होता है
औरों के घर आग लगाने का जो सपना
वह अपने ही घर में सदा खरा होता है।

अपने ही हाथों तुम अपनी कब्र न खोदो
अपने पैरों आप कुल्हाड़ी नहीं चलाओ
ओ नादान पड़ोसी अपनी आंखें खोलो
आजादी अनमोल न इसका मोल लगाओ।

पर तुम क्या जानो आजादी क्या होती है
तुम्हें मुफ्‍त में मिली न कीमत गई चुकाई
अंगरेजों के बल पर दो टुकड़े पाए हैं
मां को खंडित करते तुमको लाज न आई।

अमेरिकी शस्त्रों से अपनी आजादी को
दुनिया में कायम रख लोगे, यह मत समझो
दस-बीस अरब डॉलर लेकर आने वाली
बरबादी से तुम बच लोगे, यह मत समझो।

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धमकी, जेहाद के नारों से, हथियारों से
कश्मीर कभी हथिया लोगे, यह मत समझो
हमलों से, अत्याचारों से, संहारों से
भारत का भाल झुका लोगे, यह मत समझो।

जब तक गंगा की धार, सिंधु में ज्वार
अग्नि में जलन, सूर्य में तपन शेष
स्वातंत्र्य समर की वेदी पर अर्पित होंगे
अगणित जीवन, यौवन अशेष।

अमेरिका क्या संसार भले ही हो विरुद्ध
काश्मीर पर भारत का ध्वज नहीं झुकेगा,
एक नहीं, दो नहीं, करो बीसों समझौते
पर स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा।

साभार : “मेरी इक्यावन कविताएं “

अटल बिहारी वाजपेयी की 10 प्रसिद्ध कविताएँ Atal Bihari Vajpeye Ki Kavita Sangrah

कवि : स्वर्गीय श्री अटल विहारी ‘वाजपेयी’
भूतपूर्व प्रधानमंत्री (भारत)

Atal Bihari Vajpeye Kavita

13 thoughts on “अटल बिहारी वाजपेयी की कविता- “नादान पड़ोसी को चेतावनी ” Atal Bihari Vajpeye Kavita”

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