Last Updated on October 6, 2021 by Manoranjan Pandey
Contents
- Navratri 2021: कल से प्रारंभ हो रहे शारदीय नवरात्रि, कैसे करें व्रत-उपवास और माँ दुर्गा की पूजा
- नवरात्रि के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
- कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त (Shardiya Navratri 2021 Kalash Sthapana shubh muhurat)
- Navratri 2021: कलश स्थपना शुभ मुहूर्त
- कलश स्थापना की आवश्यक सामग्री (Navratri 2021 Kalash Sthapana samagri)
- कलश स्थापना करने के लाभ
- कलश स्थापना की विधि (Kalash Sthapana Vidhi)
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Navratri 2021 शुरू हो गई है। शारदीय नवरात्रि के इस महापर्व में अब सभी भक्तजन इन 9 दिनों में मां दुर्गा की आराधना, पूजा, एवं व्रत-उपवास करेंगे। शारदीय नवरात्र में पूजा-पाठ, व्रत-उपवास एवं माँ भगवती देवी दुर्गा की आराधना और उपासना का बड़ा महत्व है। 9 दिनों तक चलने वाले नवरात्र पर्व में माँ दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की आराधना व् पूजा की जाती है। सनातन धर्म (हिन्दू धर्म ) में यह 9 दिन अति शुभ फल देनेवाला मना जाता है। पंचांग (हिन्दू कैलेंडर) के अनुसार इसबार नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 7 अक्टूबर से प्रारंभ होती है और महानवमी 14 अक्टूबर के दिन समापन होगा। महानवमी के विहान होकर 15 अक्टूबर को दशहरा यानी विजय दशमी का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाएगा। इसबार 2 तिथि एक हो जाने की वजह से नवरात्रि 8 दिनों की होगी।
नवरात्रि के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
आपको नवरात्रि में कुछ आवश्यक बातों का ध्यान रखना चाहिए। मार्कंडेय और देवी पुराण में देवी पूजा और व्रत-उपवास नियमानुसार हीं करने चाहिए अन्यथा इनका फल नहीं मिल पाता है। पुराणों में कहा गया है कि इन नौ दिनों में पूरे संयम से रहना चाहिए और इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए। नवरात्र में यम नियम का पालन अनिवार्य होता है, ऐसा करने से आध्यात्मिक और शारीरिक शक्ति तो बढ़ती ही है मां दुर्गा भी प्रसन्न रहती हैं।
सनातन पंचांग (Hindu Calendar 2021) के अनुसार, आश्विन मास प्रतिपदा यानी (नवरात्र का प्रथम दिन) तिथि का आरंभ 06 अक्टूबर को ही शाम 04:35 मिनट पर हो रहा है और प्रतिपदा तिथि 07 अक्टूबर दोपहर 01:47 मिनट तक रहेगी। हिंदू शास्त्रों में पर्व एवं व्रत-त्योहार उदया तिथि में मनाने का विशेष महत्व होता है। इसलिए 07 अक्टूबर को प्रतिपदा तिथि सूर्योदय के साथ ही प्रारम्भ माना जाता है और शारदीय नवरात्रि कि शुरुआत हो जाएगा।
नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना करते समय हमें शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 7 अक्टूबर को कलश स्थापना या घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 17 मिनट से प्रारम्भ होकर सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक का ही है. यदि इसी समय में घटस्थापना करेंगे तो नवरात्र का शुभ फल प्राप्त करेंगे। कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त सबसे उत्तम माना गया है. याद रहे कि शुभ मुहूर्त में ही कलश स्थापित करना फलदायी रहेगा।
कलश स्थापना के लिए जीतनी भी आवश्यक सामिग्री को पहले से ही एकत्र कर लें. नवरात्रि (Navaratri) में कलश स्थापना करते समय आपको 7 तरह के अनाज, चौड़े मुंह वाला मिट्टी का एक बर्तन, पवित्र स्थान से लायी गयी मिट्टी, कलश, गंगाजल, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, जटा वाला नारियल, लाल सूत्र, मौली, इलाइची, लौंग, कपूर, रोली, अक्षत, लाल वस्त्र और पुष्प की जरूरत पड़ती है.
कलश स्थापना करने के लाभ
ऐसा मान्यता है कि जब कलश स्थापित हो जाता है तो उसमे सभी तीर्थ, देवी-देवताओं का वास हो जाता है। मान्यताओं के अनुसार कलश मां दुर्गा की पूजा में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक होते हैं। घट स्थापना करने से भक्त को पूजा का शुभ मिलता है और घर में सकारात्मक माहौल रहता है। घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
कलश स्थापना की विधि (Kalash Sthapana Vidhi)
घटस्थापना या कलश स्थापना के समय सभी भक्तों को कुछ विशेष नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए। सफाई का विशेष दिन रखें एवं उत्तर-पूर्व दिशा को साफ सुथरा करके मां जगदम्बे की चौकी या आसान लगाएं। फिर उसके ऊपर लाल साफ कपड़ा बिछाकर माता रानी की मूर्ति स्थापित करें। अब सर्वप्रथम पूज्य गणपति गणेश जी का ध्यान करें और कलश की स्थापना करे। उसके उपरान्त एक नारियल में चुनरी लपेट दें और कलश के मुख पर मौली बाँध दीजिये। तत पश्चात् कलश में जल भरकर उसमें दो लौंग , सुपारी, हल्दी की गांठ, दूर्वादल और कुछ रुपए का सिक्का डालें। अब कलश में आम के पल्लो (पत्ते) लगाकर उसके ऊपर नारियल रखें और फिर इस कलश को दुर्गा माँ की प्रतिमा की दायीं ओर स्थापित करें। अब कलश स्थापना पूर्ण होने के पश्चात् माँ देवी दुर्गा का आह्वान करें।
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